आष्टा । शनिवार की रात 1 बजे से 3 बजे तक विगत दो से तीन सप्ताह से बूंद बूंद पानी को तरसते देश की नामी शिक्षण संस्थान वीआईटी भोपाल के कोठरी स्तिथ कालेज के होस्टल में रहने वाले सैकड़ो छात्र छात्राओं ने अपने सब्र का बांध टूटने पर हाथों में पीने की पानी की खाली बोतलों को लेकर जिस तरह कालेज के परिसर में
उसके बाद जिम्मेदारों के अड़ियल रवैये से नाराज होकर गेट तोड़ कर कोठरी ग्राम की सड़कों पर जो प्रदर्शन किया उससे निश्चित इस वीआईटी के कारण पूरे देश मे सीहोर जिले की,आष्टा कोठरी की,जिला व स्थानीय प्रशासन की साफ,स्वच्छ,सुंदर छबि को गहरा धक्का लगा है ।
क्योकि सभी चैनलों,सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर,प्रिंट मीडिया के सभी समाचार पत्रों में पानी को लेकर जो धरना,प्रदर्शन,तोड़ फोड़,खबर है मारपीट भी हुई कि जो बड़ी बड़ी खबरें छपी उससे निश्चित मप्र के साथ सीहोर जिले की एवं जिले के प्रशासन की इस वीआईटी के प्रबंधन की उक्त बड़ी लापरवाही,उसकी मनमानी के कारण छबि धूमिल हुई है।
घटना के बाद वीआईटी को जिस गम्भीरता से इस मामले को संज्ञान में ले कर पीड़ित विद्यार्थियों की समस्या का अति गम्भीरता से हल करना था,जिला एवं स्थानीय प्रशासन को भी उतनी ही गम्भीरता से हस्तक्षेप कर समस्या का निदान करवाना था।
लेकिन ये सब दूर की बात उल्टे वीआईटी ने जो तुगलकी निर्णय छुट्टी घोषित कर,होने वाली सभी परीक्षाएं निरस्त करने,होस्टल में रहने वाले छात्र छात्राओं को अपने घर जाने का फरमान जारी कर पानी की समस्या से जूझ रहे,दिन रात लड़ रहे विद्यार्थियों के सामने उनके घर जाने की एक नई समस्या खड़ी कर भीषण गर्मी में परेशान कर दिया। कॉलेज में प्रदर्शन के बाद प्रशासन का एक दल जरूर पहुचा।
लेकिन वो वीआईटी के आगे बौना साबित हुआ और रस्म अदायगी कर वापस लौट आया। लोटे दल के प्रमुख ने बताया कि वीआईटी ने भरोसा दिया कि एक माह में वो व्यवस्थाओ को सुधार कर पानी की व्यवस्था कर लेगा,अभी पानी का संकट है,इसलिए उसने 25 मई से 17 जून तक छुट्टी घोषित कर दी है। जो परीक्षा होनी थी उसे भी स्थगित कर दी गई है।
मतलब पूरा निर्णय अपना ओर अपनी मनमानी का प्रशासन के दल को तो उसने एक तरह से चलता कर दिया। बताया गया कि होस्टल के एक ब्लॉक में ज्यादा संकट है,उसमे सैकड़ो विद्यार्थी रहते है
उसमें से बड़ी संख्या में बच्चे अपने घर रवाना हो गये। कल वीआईटी ने छुट्टी घोषित कर विद्यार्थियों को घर जाने को तो कह दिया लेकिन उसने जरासा भी ये विचार नही किया कि भीषण गर्मी में ये विद्यार्थी अपने घर कैसे जायेंगे ये बच्चे कोई आस पास के तो थे नही ये सभी देश के अलग अलग प्रान्तों से यहा आये थे।
उनका ना कोई रिजर्वेशन था ना कोई अन्य साधन थे जिससे वे अपनी बस,ट्रेन,फ्लाइट इंदौर,भोपाल, उज्जैन से पकड़ लेते और घरों को रवाना हो जाते। छुटी की सूचना के बाद होस्टल से निकले विद्यार्थी
अपने बेग, अटैची लेकर पहले तो घंटो कोठरी में भोपाल, इंदौर,देवास,उज्जैन,आदि स्थानों पर जाने के लिये बसों का घंटो घुप में इंतजार करते रहे,जिसे बस मिल गई वो रवाना हो गये। जिसे नही मिली वो प्राइवेट टैक्सियों को कर के रवाना हुए ये पीड़ा ना किसी ने देखी ना किसी ने अनुभव की।
अब बड़ा प्रश्न यह है की जो वीआईटी छात्रों से जितना तय है उतना शुल्क होस्टल में रहने का एडवांस बसूल लेता है,क्या उसे रहने वाले विद्यार्थियों को वो सभी सुख सुविधाओं को नही देना चाहिये जिसके वे हक दार है।
क्या पानी जैसी मूलभूत सुविधा उसे उपलब्ध नही कराना चाहिये थी। निश्चित ये संस्था की मनमानी में आती है और इस बात को प्रशासन को संज्ञान तो लेना ही चाहिये क्योंकि उक्त संस्था प्रशासन के जिस क्षेत्र में आती है,संचालित होती है तो उसमे अगर कोई मनमानी,गड़बड़ी होती है तो उस पर जिला प्रशासन को कार्यवाही करने का भी पूरा अधिकार है। बड़ा प्रश्न यही है की पानी को लेकर हुए आंदोलन का जिम्मेदार कौन ?
क्या जिला प्रशासन इसकी जांच कराएंगे,पीड़ितों को पानी उपलब्ध करा कर उनेह राहत देने के बदले उल्टे छुट्टी घोषित कर पीड़ितों को घर जाने को मजबूर करने के निर्णय पर वीआईटी के खिलाफ कोई कार्यवाही की जायेगी..?
घटना के 30 घंटे बाद भी वीआईटी की ओर से कोई भी जिम्मेदार प्रेस के सामने नही आया और ना ही उसने अपना पक्ष रखते हुए कोई प्रेस नोट जारी किया है। उसके पक्ष का भी प्रेस को इंतजार है…